संवेदनशील समस्याः गोवंशियों से बिगड़ता किसान का रिश्ता..!

गाय और किसान एक दूसरे के सदा से पूरक रहे हैं। दोनो ही एक दूसरे के जीवन के लिए जरूरी और मददगार भी बने रहे । विकास की अंधी दौड़ और दूषित राजनीति के कुचक्र ने न केवल पर्यावरण और प्रकृति को नुकसान पहुंचाया बल्कि गाय और किसान के रिश्ते में खटास पैदा कर दी। अब दोनों ही एक दूसरे के लिए नुकसानदायी बने हैं।



लखनऊ। उत्तर प्रदेश 2 दर्जन से ज्यादा जनपदों में किसानों की हालत अजीब है। वो ना रात को सोते हैं ना दिन में चैन ले पाते हैं, बस चौबीसों घंटे हाथ में लाठी और खेतों में दौड़, कई महीनों से यही चल रहा है। यह हाल किसी एक गांव या जनपद का नही गांव बल्यि पूरे प्रदेश के किसानों का है। मैंने जब प्रदेश के विभिन्न जनपदों में जाकर इस बात का जायजा लिया तो जानकर हैरान रह गया कि किसानों के सिर पर कैसे बिन बुलाई मुसीबत आ गई है। मैंने जब गांव-गांव पता लगाया तो देखा सैकड़ों गावों की हालत एक जैसी ही है। ये दिक्कत है उन पशुओं की वजह से जो उनकी फसलों को रौंद रहे हैं, बर्बाद कर रहे हैं। लेकिन ये पशु इन लोगों के नहीं हैं।


दरअसल कोई इन पशुओं के झुंड के झुंड, चोरी- छिपे आसपास के गांवों में छोड़ रहा है। कौन हैं ये लोग? क्यों ये अपने पशुओं को सारे गांवों में खदेड़ रहे हैं? ये साजिश है या फिर कोई और कहानी.. मैंने जब इसका पता लगाया तो आंखें खोलने वाली सच्चाई सामने आई। रात के अंधेरे में ये क्या हो रहा है? यकीन करना मुश्किल है। किसानों की समस्याओं का अध्ययन किये बिना गायों को बचाने के अभियान के साइड इफेक्ट ऐसे भी हो सकते हैं? यह सायद प्रदेश की योगी और केन्द्र की मोदी सरकार ने सोचा भी नही होगा। फसल ओ से बचान का लड़ाई हर तरफ हंगामा है. पशुओं और खासतौर पर गायों को बचाने का। लेकिन इसके चक्कर में पशुओं को लेकर अनजाना डर भी लोगों में बैठ गया है. दो सालों में कई जानें भी इस सक्रियता की वजह से गई हैं। औरैया, कानुपर देहात, कन्नौज, फतेपुर, जालौन, इटावा, लखनऊ, बाराबंकी, मैनपुरी, ! एटा, उन्नाव, हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर खीरी समेत तकरीबन दो दर्जन से ऊपर रत्नशिखा । टाइम्स और पत्रकार सत्ता की टीम ने संयुक्त रूप से दौरा कर गांवों में किसान और गोवंशियों के । रिश्ते का जायजा लिया। यहां गांवों में लोग रात का अंधेरा होते ही लाठी लेकर अलर्ट हो जाते हैं। ये रात्रिजागरण । होता है पशुओं के झुंड के हमले से गांव और फसलों को बचाने के लिए। दोनो टीमों के प्रतिनिधियों ने अपने अपने । जनपदों में इस बात की पड़ताल शुरू की कि रात के अंधेरे में पशुओं के झुंड आते कहां से हैं ? तो । पता लगा कि बहुत से पशु पास के ही गांवों के हैं : जिन्हें जानबूझकर अंधेरे में दूसरे गांवों में छोड़ा जा रहा है। ये झुंड खेत के खेत बर्बाद कर देते हैं।