संकट के दौर में सकारात्मकता का संदेश


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सदैव विपक्ष के नकारात्मक हमले झलने पड़ते है। गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए ही उनकी यह नियति निर्धारती हो गई थी। यह सिलसिला आज तक जारी है। यह कल्पना थी कि कोरोना आपदा के समय विपक्ष का नजरिया कुछ समय के लिए बदल जायेगा। इस समय आपदा प्रबंधन के साथ लॉक डाउन भी अपरिहार्य है। नरेंद्र मोदी सरकार ने इसपर बेहतर ढंग से अमल किया है। विश्व में नरेंद्र मोदी की प्रशंसा हो रही है। कोरोना से जंग में उन्हें नम्बर वन बताया जा रहा है।
लेकिन भारत का विपक्ष इस संकट में भी मोदी के प्रति नफरत छोड़ने को तैयार नहीं है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपनी पार्टी पदाधिकारियों से वीडियो कांफ्रेसिंग वार्ता में मोदी पर खूब हमले बोले। उन्हें आमजन के मनोबल की भी परवाह नहीं थी। जबकि इसके अगले दिन नरेंद्र मोदी ने आमजन के मनोबल बढ़ाया। राष्ट्रीय पंचायत दिवस के अवसर पर वह पंचायत सदस्यों से मुखातिब थे। समस्त पंचायतों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उन्होंने संबोधित किया।


प्रधानमंत्री ने एकीकृत ई-ग्राम स्वराज पोर्टल को लॉन्च किया। जिसके जरिए गांव की विकास परियोजनाओं पर नजर रखी जा सकेगी। संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना ने हमारे काम करने का तरीका बदल दिया है। उन्होंने कहा कि इस महामारी ने हमारे सामने कई मुसीबतें खड़ी की हैं लेकिन हमें आत्मनिर्भर बनने का सबक भी दिया है। कभी प्रधानमंत्री के रूप में राजीव गांधी ने कहा था कि दिल्ली से सौ पैसे भेजे जाते है, लेकिन गांव तक पन्द्रह पैसे ही पहुंचते है। मोदी ने दावा किया कि अब गांवों में पूरे सौ पैसे पहुंच रहे है। मोदी ने पुनः लोगों को जागरूक किया। कहा कि कोरोना एक विचित्र वायरस है खुद किसी के घर नहीं जाता है। इसलिए दो गज दूरी का पालन करना जरूरी है। उन्होंने लोगो का मनोबल बढ़ाया। कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनान होगा। एक दौर वो भी था जब देश की सौ से भी कम पंचायतें ब्रॉडबैंड से जुड़ी थीं। अब सवा लाख से ज्यादा पंचायतों तक ब्रॉडबैंड पहुंच चुका है। इतना ही नहीं, गांवों में कॉमन सर्विस सेंटरों की संख्या भी तीन लाख से अधिक हो गई है।


देश के गांवों में रहने वाले लोगों ने विश्व को अपने संस्कारों व परंपराओं की शिक्षा दी है। दुनिया को दो गज दूरी का सन्देश दिया है। यह कोरोना से बचाव में कारगर है। आज दुनिया में चर्चा हो रही है कि कोरोना को भारत ने किस तरह जवाब दिया है। मोदी ने माना कि भारत में सीमित संसाधन है। कठिनाइयां है। फिर भी यहां के लोग परिस्थितियों का मुकाबला कर रहे है। कांग्रेस के नेता इस प्रकार आरोप लगा रहे है,जैसे छह वर्ष पहले तक स्वास्थ सेवाएं बहुत विकसित थी। जबकि इस क्षेत्र में इन छह वर्षों में ही सर्वाधिक कार्य हुए है। कांग्रेस के बयान समाज में निराशा फैलाने वाले है।