वो थमी हुयीं सी साँसें, वो सेहमा हुआ सा दिल और वो दबी दबी मुस्कान जब ' लॉकडाउन ' बढ़ जाने की खबर सुनके खिलखिला उठे, तो महसूस हुआ शायद कुछ बचपना अब भी मुझमें बाकी है।
भले ही दिमाग को कड़वी सुरर्खियों ने और माथे को फिक्र की झुर्रियों ने घेर रखा है, मगर माँ के प्यार से सेहला देने से जब ये दिल बेफिक्र हो गया, तो महसूस हुआ शायद कुछ बचपना अब भी मुझमें बाकी है।
'समझौते' और 'क़ुरबानी' जैसे अल्फ़ाज़ों ने छीन लिया था वो 'प्यार' वाला एहसास, शायद ख़त्म हो चला था वो मोहब्बत का परवाज़।
मगर जब मिला खाली वक़्त और मुद्दत के पल तो रूबरू हुआ मेरा मुस्कुराता कल। जब उसकी बेइंतहा परवाह और ख़ुशनुमाईं पे ये दिल फिर से फना हो गया, तो महसूस हुआ शायद कुछ बचपना अब भी मुझमें बाकी है।
घर की ज़रूरतों ने ज़िम्मेदार सा बना दिया था, अपनों की ख़ुशी ने अपनों से ही दूर सा कर दिया था । मगर वबा से मजबूर होकर जब उनके साथ को जिया, तो महसूस हुआ शायद कुछ बचपना अब भी मुझमें बाकी है ।
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