* प्राइवेट दुकान गोमती फार्मा के लेटर हेड पर राजकीय पशु चिकित्सालय में लिखी जा रहीं दबायें
* सुप्रिटेंडेन्ट बोले- नही हैं इतने पर्चे जो सबको दिये जा सकें, ज्यादातर दबाईयों का रहता है अभाव
> तीमारदारों के इमोशन से हो रहा जबर्दस्त खिलवाड़।
> सूत्रों ने कहा- कमीशन के गोरखधंधे में विभागीय अधिकारी भी हैं शामिल।
> तीमारदार बोले कई सालों से दिये जा रहे हैं इसी स्टोर के पर्चे ।
लखनऊ। आधुनिक सुविधाओं से लैस राजधानी के राजकीय पशुचिकित्सालय में डाक्टर खुलेआम कमीशनखोरी के चक्कर में सीएम योगी आदित्यनाथ के आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। पशु प्रेमियों की भावनाओं का दोहन किस प्रकार से होता है यदि किसी को यह देखना हो तो वह गोकरन नाथ रोड डालीगंज (निकट आईटी चौराहा) स्थित राजकीय पशु चिकित्सालय पॉली क्लीनिक जाकर देखे जहां के चिकित्सक अस्पताल से दबाई न देकर खुले आम एक निजी मेडिकल स्टोर गोमती फार्मा के पैड पर दाबाइयां प्रिसक्राइब कर रहे हैं, उक्त मेडिकल स्टोर से दबाईयां खरीदना पशु प्रेमियों की मजबूरी बन गयी है क्यों कि डाक्टरों द्वारा प्रिस्क्राइब की गयी दबाईयां अस्पताल में मिलने की बजाय उक्त मेडिकल स्टोर पर ही मिलती हैं और यदि तीमारदार दबाईयां नहीं खरीद पाता तो उसकों बिना इलाज के ही लौटना पड़ जाता है। गौर तलब है कि उक्त राजकीय पशु चिकित्सालय में राजधानी लखनऊ समेत आसपास ग्रामीण आंचल से भी कई पशु प्रेमी/पशु पालक अपने पालतू जानवरों का इलाज कराने के लिए आते हैं। पालतू जानवरों के साथ लोगों के भावनात्मक अटैचमेंट का यहां के चिकित्सक खूब फायदा उठाते हैं और कमीशन में मिलने वाली रकम के लालच में तुरंत डालीगंज चर्च के पास खुले गोमती फार्मा के पैड पर पर्चा काट कर देतें है वहां तैनात एक फार्मासिस्ट पर्चे में लिखी दबा स्टॉक में होने से इनकार कर देता है। वहीं दूसरा फार्मासिस्ट उसी स्टोर से दबाईयां लाने को बोलता है जब तीमारदार उक्त मेडिकल स्टोर से दबाईयां, इंजेक्शन बगैरह ले आता है तो ही उसके पैट का इलाज संभव हो पाता है। चालू वित्तीय वर्ष और इसके पहले भी योगी सरकार ने पशुपालन विभाग को काफी भारी भरकम बजट एलाट किया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन में प्रदेश के सभी जिला चिकित्सालयों में 100 फीसदी इलाज मुफ्त में वहीं पशुचिकित्सालय के डाक्टर मुख्यमंत्री की बात को धता बताते हुए निजी मेडिकल स्टोरों को फायदा पहुंचाने में लगे हुए हैं।